Showing posts with label shaayri. Show all posts
Showing posts with label shaayri. Show all posts

Saturday, December 6, 2014

आज बस इतना ही ---- 7 दिसंबर, 2014


फ़ल में ही बीज था और बीज में फ़ल था।
इस आज में आता हुआ, जाता हुआ कल था।

जब गौर से देखा तो, चुधियां गईं आंखें
जल में थी अगन और अगन में छुपा जल था।

जिस सूत्र को लोगों ने हंसी में उड़ा दिया
उस सूत्र में जगत का रूप अष्टकमल था।

गूंगे में थी वाचालता, वाचालता में मौन
ये सत्य था कि दृष्टिभ्रम या और ही छल था।

बेचैन रहा जिसको पकड़ने में, सदा मैं
गतिमान काल में कहीं ठहरा हुआ पल था।

- रमेश तैलंग

Sunday, May 12, 2013

किसी बहाने सही




किसी बहाने  सही, याद मेरी आया करे. 
खुदा कभी भी उसे मुझसे न पराया करे.

ये रिश्ते भी बड़ी  नायाब चीज़  होते हैं 
दुआ करो कि इन्हें यूं न कोई ज़ाया करे.

शज़र लगाऊं जहां भी कहीं मोहब्बत का 
मैं चाहता हूं वो हर एक सर पे छाया करे.

भरा हो आंखों में सैलाब जब दुखों का तो 
ये ज़रूरी है कोई आ मुझे  रुलाया करे.

मैं हूं इंसान, हैं मुझमें भी हजारों कमियां
मेरी इस बात पे कोई तो यकीं लाया करे.

- रमेश तैलंग 


(चित्र सौजन्य: गूगल -हेमंत शेष)