Tuesday, April 30, 2013

मेरी ताज़ा गज़ल ....




आज बस इतना ही ............... 1 मई, 2013










तू दुश्मन है तो दुश्मन की तरह से पेश मुझसे आ.
ये क्या कि जब मिलूं आंखों में भर लाता है तू दरिया.

पुराने वक्त में फिर लौटने की शर्त अब कैसी 
मैं भी हूं अब कहां वैसा , न तू ही अब रहा वैसा.

न जाने कौनसी जिद थी, न जाने कौनसा हठ था,
बड़े कमजोर निकले हम, निभा पाए न इक रिश्ता.

वो शब हो या सुबह कुछ इस तरह से जिंदगी काटी 
कि गुस्से में हंसी फूटी, हंसी में आ गया गुस्सा.

ये कुछ जज़्बात ही तो थे जो शोलों से दहक बैठे,
न फिर कोई घटा छाई, न फिर पानी कहीं बरसा.

ये कैसी जंग है जिसमें किसी पर वार करने को 
न तेरा ही है मन करता, न मेरा ही है मन करता.

- रमेश तैलंग



photo credit: google-mylot.com

Monday, April 29, 2013

आज बस इतना ही .........30 अप्रैल, 2013




खबर नहीं ये, जो पढ़ते ही बासी हो जाए. 
ये गज़ल है, सुने तो रूह प्यासी हो जाए.

मैं  हूं अदीब, कोई बुतपरस्त आए तो 
मेरी दुआ है ये काबा भी कासी हो जाए.

शहर के दंगों पे तो तब्सिरे तमाम हुए,
अमन की बात भी अब,चल, जरा सी हो जाए.

गले मिलता हूं मैं सबसे,ये सोचकर शायद 
उड़न-छू आंखों से गहरी उदासी हो जाए.

वो एक बार मेरी जिंदगी में आए तो 
अमा की रात भी ये पूर्णमासी हो जाए.


- रमेश तैलंग 

चित्र सौजन्य: गूगल 

Saturday, April 13, 2013

May God bless you in Heaven : A poem by Ramesh Tailang





May God bless you in Heaven



Where do we go from here?

Nature's all free resources
have been usurped by  traders
and they are displaying their placards
all around the globe -

The Earth is on sale

The Water is on sale

The Air is on sale

and, of course,
The Life is on sale.

Money lenders have intruded 
into your homes,
and your empty pockets are 
eagerly looking for them
to fulfill your unending wishes.


The noose is ready
and all is set
to take you to the gallows.

May God bless you in Heaven!



- Ramesh Tailang
+91-9211688748
rtailang@gmail.com

Death is on their toe - A poem by Ramesh Tailang

image courtesy: google + cpi.org


Trapped in the conflict zones
they are innocently playing 
with landmines
not knowing that 
a bit of second
shall shatter their bodies into pieces
and there would be no one on Earth
to cry for them.

They are not the soldiers 

fighting wars,
They are not the convicts,
sentenced by any criminal court 
with capital punishment.

Who..they are? 


They are nothing but a shield 

made for terrorist outfits 
to cover their cowardliness 
The are nothing but the sensational bytes 
for  news-starved media.
They are nothing but  a  scape-goat
free for all.

Look,


There.......... they are.....
fearless,
careless,
just to show... 
that 
Death is on their toe!

- Ramesh Tailang
rtailang@gmail.com



Tuesday, April 9, 2013

दो गीत : रमेश तैलंग





- १ -

धान पराया हुआ
हल्दी पराई,
चढ़ गई नीलामी पर अमराई,

अपने रहे न घने नीम के साए,
गमलों में कांटे ही कांटे उगाए
पछुआ के रंग में रंगी पुरवाई,
ऐसी विदेसिया ने करी चतुराई।


पानी तो बिक गया बीच बजारी,
धूप-हवा की कल आएगी बारी,
सौदागरों ने बड़ी मंडी लगाई।
ऐसी विदेसिया ने करी चतुराई।


रोज दिखाके नए सपने सलोने,
हाथों में दे दिए मुर्दा खिलोने,
राम दुहाई, मेरे राम दुहाई।
ऐसी विदेसिया ने करी चतुराई।





 - २ -


प्यारे, ये है मिठा .........स बतरस की।

प्रेम पगी बतियों के क्या माने
स्वाद चखे जो, बस वो ही जाने,
हर कोई इसे कहां पहचाने?
प्यारे, ये है मिठा .........स बतरस की।

बातें जब चलें तो चलती जाएं
जलतरंग जैसी बजती जाएं,
भारी मन हलका करती जाएं।
प्यारे, ये है मिठा .........स बतरस की।

बातें पलाशों जैसी दहकें,
बतें गुलाबों जैसी महकें,
बातें परिंदों जैसी चहकें
प्यारे, ये है मिठा .........स बतरस की।


बातों से मैल सभी धुल जाएं
मन की गांठे सारी खुल जाएं
बातों के हम कितने गुन गाएं?
प्यारे, ये है मिठा .........स बतरस की।


(अंचल भारती से साभार)
चित्र सौजन्य: गूगल