Friday, October 25, 2013

यमुना किनारे अतिविशिष्ट राजनेताओं के ही समाधिस्थल इतने विशाल और इतने भव्य क्यों ?



खबर है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के राजघाट/शक्तिस्थल आदि पर बने महत्वपूर्ण राजनेताओं के समाधि स्थलों को और अधिक आकर्षक रूप देकर कायांतरित करने के लिए मंजूरी दे दी है. जाहिर है कि ऐसी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए खर्च की सीमा आसमान छू जाती है. लोकवित्त को ऐसी मदों में खर्च करना कितना ज़रूरी है इस पर अनेक मत हो सकते हैं पर मुझे लगता है कि कई एकड़ों मै फैले इन समाधि स्थलों को राजनैतिक नेताओं के लिए ही क्यों सुरक्षित रखा जाता है. यमुना किनारे क्या मात्र राजनीति के कर्णधारों का ही एकाधिकार रह गया है. साहित्य-संस्कृति-कला-क्रीडा-सामाजिक सेवा जैसे अन्य क्षेत्रों में अपना  अप्रतिम योगदान देने वालों के लिए क्या ऐसे स्मारकों/संग्रहालयों के लिए कोई जगह नहीं. और क्या वर्तमान राजनीतिक नेताओं के समाधिस्थलों को एकीकृत करके बहुमंजिली स्मारकों में तब्दील करके इतनी विशाल जमीन का कोई अन्य उपयोग नहीं किया जा सकता? यहाँ सवाल उठाया जा सकता है की  समाधिस्थल तो दाहक्रिया/क्रिमेशन की जगह पर ही बन सकता है तो इसे भूतल पर ही खुली जगह थोड़ी-थोड़ी दूरी पर क्यों न स्थानान्तरित किया जाए. भारतीय संस्कृति में विविधता में एकता का  इससे अच्छा प्रतीक और क्या हो सकता है. अलग-अलग व्यक्तित्वों के लिए स्मारकों/संग्रहालयों को बहुमंजाला बनाकर काफी जमीन बचाई जा सकती है और सुरक्षा की मद में भी किया जाने वाला खर्चा कम किया जा सकता है.

दूसरा सवाल यह है कि सारे राष्ट्रीय नेताओं (और अधिकांशतः खासकर प्रधान मंत्रियों ) के समाधिस्थल/स्मारक दिल्ली में ही क्यों?

क्या सिर्फ इसलिए कि दिल्ली देश की राजधानी है और सारे अतिविशिष्ट राजनयिक दिल्ली में ही आकर इन स्थलों पर आकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं? पर यदि इन स्मारकों को सम्बंधित दिवंगत राजनेताओं की जन्मस्थली पर निर्मित/विकसित किया जाए तो क्या बुरा है, और उसकी सुरक्षा/रूपांतरण आदि की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंप दी जाए, क्या ऐसा संभव नहीं? सरकार की सदेच्छा हो तो इस विलासकर्म को सीमित किया जा सकता है और राजनीतिक नेताओं के  एकाधिकार को समाप्त कर साहित्य/कला/संस्कृति/क्रीडा/चिकित्सा तथा समाजसेवा आदि जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना अप्रतिम योगदान देने वालों के लिए भी इस तरह के स्मारकों को सीमित स्थान में निर्मित/विकसित किया जा सकता है.