Saturday, May 4, 2013

आज बस इतना ही ................... 4 मई, 2013





मासूमों की इक बस्ती गिद्धों की नज़र में है.
अब भूख सिर्फ भूख ही इस ओर खबर में है.

सरकारी आंकड़ों में कल कैफ़ियत मिलेगी
फ़िलहाल मरने वालों की पांत सफ़र में है.

कुछ जिंदगी से हारे, कुछ युद्ध के हैं मारे,
ये बदनसीब दुनिया जब देखो, गटर में हैं.

अफ़सोस क्या जताएं, हैं दुःख भरी कथाएं
तदबीर नहीं कोई, तकदीर  अधर में है.

सारी ज़मीन पर अब हथियार ही काबिज हैं,
इंसानियत का क्या है, वो डर में थी, डर में हैं.

-  रमेश तैलंग 


(photo credit: google+pedaltofeed.com)







1 comment:

  1. मासूमों की इक बस्ती गिद्धों की नज़र में है.
    अब भूख सिर्फ भूख ही इस ओर खबर में है.

    सरकारी आंकड़ों में कल कैफ़ियत मिलेगी
    फ़िलहाल मरने वालों की पांत सफ़र में है.---
    आज की परिस्थिति की सटीक प्रस्तुति.

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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