Thursday, May 2, 2013

सरबजीत के जाने के बाद

आज बस इतना ही.............3 मई , 2013



(चित्र सौजन्य: गूगल+इंडियन एक्सप्रेस)


दुनिया ही उजड जाए फिर रोना क्या हँसना क्या 
रहने दे जैसे हैं अब, इन ज़ख्मों को भरना क्या

जब जल रही थी बस्ती, साया नज़र न आया,
जब राख हो गया सब, बादल का बरसना क्या

आंखें हमारी रीतीं, सारी बहारें बीती
अच्छा हो या बुरा अब मौसम का गुजरना क्या.

बस में था जब तुम्हारे, लड़ने से पहले हारे, 
जय हो गई पराजय, अब और समझना क्या,

अपने ही हाल पर बस , तू छोड़ दे हमें अब 
अब डूब के मरना क्या, अब पार उतरना क्या 



- रमेश तैलंग

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