फेसबुक से साभार :
बाल साहित्य में अब तक काफी शैक्षिक शोध हो चुके है और पी-एच डी /डी.लिट् की उपाधियाँ भी वितरित की जा चुकी हैं तो क्या अब यह उपयुक्त समय नहीं कि हिंदी साहित्य के स्नातक/परास्नतक पाठ्यक्रम में बालसाहित्य को शामिल किया जाए और उस पर एक स्वतंत्र प्रश्नपत्र रखा जाए...यूं.जी.सी तथा उच्च शिक्षा विभाग को इस बिंदु पर विचार करना चाहिए. आप की क्या राय है?
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