१.
सपना तब तक ही सुंदर है
सपना तब तक ही सुंदर है।
जब तक आँखों के अंदर है।
खुशियों को सहेज कर रखना
उनके खो जाने का डर है।
बुरे वक़्त में दुःख ही है, जो
साथ निभाने को तत्पर है।
रिश्तों का बनना आसां है
रिश्तों का बचना दुष्कर है।
इंसानों की मुश्किल ये है
उनके भीतर हमलावर है।
२.
सब कुछ अपने मन का ही हो
सब कुछ अपने मन का ही हो, ऐसा कब होता है
गतिरोधों से टकरा कर, जीवन संभव होता है।
पलकों तक आए और मन में, हलचल पैदा नहीं करे
ऐसा आँसू ज़िंदा हो कर भी एक शव होता है।
एकाकी लोगों से पूछो तो शायद यह पता चले
सूनेपन के अंदर-अंदर भी कलरव होता है
भली-भली बातों से कोई अच्छी कथा नहीं बनती
श्याम रंग का श्वेतों में गहरा मतलब होता है।
३.
जिससे थोड़ा लगाव होने लगा
जिससे थोड़ा लगाव होने लगा।
बस उसी का अभाव होने लगा।
ये नियति का ही तो क़रिश्मा है,
ज़िंदा सच एक ख़्बाव होने लगा।
जिस्म दो जान एक थे जो कल,
आज उनमें हिसाब होने लगा।
गर्म बाज़ार हुआ रिश्तों का,
हर जगह मोल-भाव होने लगा।
पहले होता था सिर्फ क़िश्तों में,
दर्द अब बेहिसाब होने लगा।
४.
बच्चों पर दिन भारी देखे
बच्चों पर दिन भारी देखे।
जब से कांड निठारी देखे।
मासूमों का सौदा करते
बड़े-बड़े व्यापारी देखे।
जो आचार संहिता लाए
उनमें ही व्यभिचारी देखे।
जिन्हें देखना कभी न चाहा,
बदकिस्मती हमारी, देखे।
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