चक-चक चकर-चक चक्की चले,
हो रामा! हो रामा! हो रामा!
भोर से उठ माँ रामधुन गाए,
ठस हाथ उस हाथ पाट घुमाए,
पाट जो घूमे तो धरती ‘हले’,
हो रामा! हो रामा! हो रामा!
पंछी को दाना, ढोरों को सानी,
चिंता जगत की माँ में समानी,
माँ, तेरे दम से गिरस्थी चले,
हो रामा! हो रामा! हो रामा!
बहुत प्यारी लोक शैली की रचना . बधाई . आज है मेरे बेटे सृजन का जन्म दिन ... बाल मंदिर पर देखिये शेरजंग गर्ग जी की रचना . http://baal-mandir.blogspot.com/
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