मेरे प्यारे चम्पू, पप्पू, टीटू, नीटू, गोलू, भोलू, किट्टी, बिट्टी ,
चिंकी, पिंकी, लीला, शीला, लवली, बबली
खुश रहो, स्वस्थ रहो और जुग-जुग जियो.
कहते हैं, खुशी एक ऐसी दौलत है जो जितनी बांटो, उतनी ही बढती है. ऐसा कह कर मैं तुम्हे कोई उपदेश नहीं दे रही. बस, एक वाकये को शेयर कर रही हूँ जो पिंकी ने अपनी चिठ्ठी में मुझे लिख भेजा है.
दरअसल पिछले पांच सितम्बर को पिंकी के स्कूल में एक फंक्शन था. अब तुम तो जानते हो, पांच सितम्बर को सभी स्कूलों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. तो पिंकी के स्कूल में भी कुछ इसी तरह था. उस फंक्शन में उसके स्कूल में एक डॉक्युमेंटरी फिल्म भी दिखाई गई ; "चिल्ड्रन फुल ऑफ लाइफ". पिंकी लिखती है कि इस डॉक्युमेंटरी फिल्म में चौथी कक्षा को पढाने वाले एक ऐसे जापानी शक्षक की कहानी है जो बच्चों कि जिंदगी संवारने के लिए पूरी समर्पित है. शिक्षक का नाम है - तोशीरो कनामोरी जो टोक्यो के उत्तर-पश्चिम में बसे कंजावा के एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाते हैं.
तोशीरो अपने शिष्यों से कहते हैं कि व न केवल अच्छे विद्यार्थी बनें बल्कि अपने जीवन को भी पूरी तरह से जियें. क्योंकि ऐसी शिक्षा किसी काम की नहीं जो उनके जीवन में काम न आए. इसके लिए तोशीरो एक प्रयोग करते हैं. वे अपनी कक्षा के बच्चों से कहते हैं कि वे अपने या दूसरों के बारे में जो कुछ भी सोचते हों, उसे वे एक चिठ्ठी में लिख कर पूरी कक्षा के सामने जोर से पढ़ कर सुनाएं. इससे होगा यह कि बच्चों को एक दूसरे के बारे में जानने का ज्यादा मौक़ा मिलेगा और इस तरह न केवल वे अपने विचारों को खुल कर प्रकट कर सकेंगे बल्कि एक दुसरे के दुःख-सुख में शामिल होने के लिए भी तैयार हो सकेंगे.
अब होता क्या है कि आज की दुनिया में हर आदमी सिर्फ अपने बारे में सोचता है और दूसरों की परवाह ही नहीं करता है. भला ऐसे काम चलता है क्या? इकल्खोर बन कर ही जिंदगी को जी लिया जाता तो समाज की रचना ही क्यों होती? फिर तुम लोग जिसे "टीम स्पिरिट" कहते हो वह तो कहीं भी नज़र नहीं आती. तो तोशीरो इसी "टीम स्पिरिट" को शिक्षा के ज़रिये अपनी कक्षा के बच्चों में जगाने की कोशिश करते हैं.
पिंकी ने लिखा है - " नानी तुम तो स्वयं एक शिक्षिका रही हो और शिक्षा के महत्त्व को समझती हो, इसलिए तोशीरो कनामोरी के काम को भी मन से सराहती होगी? तो मेरे नन्हे-मुन्नो, अच्छे काम को भला कौन नहीं सराहता? वो कहते हैं न, कर भला हो भला. अब तुम कहोगे कि नानी ने फिर एक कहावत चिपका दी. तो इसके जवाब में मैं इतना ही कहूँगी कि वह नानी ही क्या जिसके पास किस्से-कहानियों या मुहावरों-कहावतों के टोटे हों.
येल्लो, बातों-बातों में पिंकी की एक बात बताना तो भूल ही गई. वह बात यह है कि अगर तुम इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म यानी "चिल्ड्रेन फुल ऑफ लाइफ" को देखना चाहो तो डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू.यूट्यूब.कोम पर जब चाहे देख सकते हो मुफ्त में.
तो अब तुम यह फिल्म देखो और मुझे छुट्टी दो रात भर के लिए. शुभ-रात्रि .
तुम्हारी अपनी नानी.
आदरणीय रमेश तैलंग जी,
ReplyDeleteआपकी बाल कविताएँ अजब अनोखी हैं . बहुत ही प्यारी और खिलंदड़ी . बच्चों के साथ साथ बड़ों का भी मन झूम जाता है .
मेरी एक पुस्तक पढ़ ले बिटिया नाम से प्रकाशित हुयी है .
मैंने भी अपनी बाल कविताओं का एक ब्लाग बनाया है .
समय मिले तो आप देखिएगा . सुनैना अवस्थी
http://sunainaawasthi.blogspot.com/
badhiya--bahutai badhiya. kal fursat se likhoonga poori teep. filvakt to nani jindabad. sasneh, pmanu
ReplyDeleteचिट्ठियों के बहाने बडे काम की बातें पता चल रही हैं। आभार।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
धन्यवाद ज़ाकिर भई. याद किया अच्छा लगा.आपके सभी ब्लोग्स निरंतर देखता रहता हूँ. शुरुआत तो आपने हे की थी.
ReplyDeleteआगे ए चिठ्ठियाँ स्वतंत्र ब्लॉग www.nanikichiththian.blogspot.com पर देखने को मिलेंगीं.
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