चित्र सौजन्य: गूगल: द हिंदू
सोहर के, गौने के, मंगल के, गीत बचाए रखना.
जीवन ये उत्सव है , थोड़ा संगीत बचाए रखना.
वैसे तो मेले भी
अब अपना रूप बदलने लगे
फुर्सत के पल
जितने भी थे, चलने लगे
अगन नहीं, चिंगारी ही सही, प्रीत बचाए रखना.
जीवन ये उत्सव है,थोड़ा संगीत बचाए रखना.
ऐसा न हो आंखों की
प्रफुल्लता पूरी मर जाए,
बूंद-बूंद पानी की
चाहत में सिर्फ धूल भर जाए
कभे-कभी आस्तीन भीगी, मनमीत! बचाए रखना.
जीवन ये उत्सव है, थोड़ा संगीत बचाए रखना.
अंकुराती बेल नई, खोजेगी
कल के दिन अपनी विरासत जब,
खाली भंडार देख कर उसकी
सोचो तो क्याः होगी हालत तब,
लोक की कसम तुमको,कुछ लोकगीत बचाए रखना.
जीवन ये उत्सव है , थोड़ा संगीत बचाए रखना.
(srijangatha se saabhaar)
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