दरिया उफान पर नहीं आ जाए, संभलिए.
बच्चों की ज़िन्दगी को न यूं खेल समझिए.
गिरने की एक हद हुआ करती है कहीं पर,
अब वो भी टूटने लगी है, हाथ न मलिए.
ख़बरें नहीं ये सिर्फ, हादसें हैं मुकम्मल,
अफ़सोस के आगे भी बहुत कुछ है, वो करिये.
पहला कदम उठेगा तो आगे भी उठेंगे
अब सोचने का वक्त नहीं उठिए भी चलिए.
हो जाए शर्मसार जिन्हें देखके दुनिया
ऐसी घिनोनी सूरतों को जल्द बदलिए.
-रमेश तैलंग
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11134042.cms
कैथोलिक चर्च में 20 हजार बच्चों का यौन शोषणः आयोग - Navbharat Times
navbharattimes.indiatimes.com
नीदरलैंड्स के एक स्वतंत्र आयोग ने कहा है कि वहां रोमन कैथोलिक चर्च के संस्थानों में दस हजार से बीस हजार बच्चों का यौन शोषण हो चुका है...
Saturday, December 17, 2011
ख़बरें नहीं ये......
Wednesday, December 14, 2011
एक खबर को पढकर ...........
http://nation.com.pk/pakistan-news-newspaper-daily-english-online/Opinions/Editorials/14-Dec-2011/Children-in-chains
जंजीर में जकड़े ये बदनसीब देखिये.
तालीम देने वालों की तहजीब देखिये.
ढोना है जिसे अपने ही कन्धों पे उन्हें कल,
ये कायदे-कानूनों की सलीब देखिये.
मज़हब,जिहाद,कौमपरस्ती के नाम पर
बिकते हैं रोज किस तरह गरीब देखिये.
होना था जिन्हें इस समय माँ-बाप के करीब
वे हो गए बंदूकों के करीब देखिये.
तूती की तरह ही सही,नक्कारखाने में
आवाज़ लगाता हुआ अदीब देखिये.
जंजीर में जकड़े ये बदनसीब देखिये.
तालीम देने वालों की तहजीब देखिये.
ढोना है जिसे अपने ही कन्धों पे उन्हें कल,
ये कायदे-कानूनों की सलीब देखिये.
मज़हब,जिहाद,कौमपरस्ती के नाम पर
बिकते हैं रोज किस तरह गरीब देखिये.
होना था जिन्हें इस समय माँ-बाप के करीब
वे हो गए बंदूकों के करीब देखिये.
तूती की तरह ही सही,नक्कारखाने में
आवाज़ लगाता हुआ अदीब देखिये.
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