Saturday, March 28, 2020

2008 की सुपरहिट फिल्म भूतनाथ में कैसे रचा गया बंकू का किरदार ?


2008 की सुपरहिट फिल्म भूतनाथ में कैसे रचा गया बंकू का किरदार ?  
जानिये फिल्म के लेखक/निर्देशक विवेक शर्मा की जुबानी
(Unedited text from his audio clip)


All images credit: Google search

बंकू character create करना मेरे लिए बहुत ज्यादा difficult  नहीं था because मेरी दीदी का बेटा था Tinshu जो बहुत ही poker face के साथ झूठ बोला करता था उससे मैं inspire हुआ था और वो टिफ़िन न खाए और तुलसी के  पौधों में दूध डाल कर pretend करता था कि उसने  दूध पी लिया है. और मैंने हमेशा observe किया कि animals & kids ,  ये बड़े नेचुरल  होते हैं. ये ज़रा भी pretentious यानी बनाबटी नहीं होते. बच्चों से अच्छा एक्टर कोई होता ही नहीं है. और देखिये कॉमेडी भी हमेशा वही work  करती है जो poker होती है. Loud या slapstick कामेडी उतनी ज्यादा work नहीं करती.


तो बंकू करेक्टर जो था वो हमारे दिमाग में था कि इसको हीरो बना के रखा जाए और भूतनाथ में जितना महत्त्व भूतनाथ का था या है उतना ही बंकू का है. बंकू और भूतनाथ का एक तरह से Tom & Jerry वाला combination है  और इसीलिये वे दोनों characters अमर हुए.  एक दूसरे की टांग खींचना,मस्ती करना एक दूसरे के साथ नए - नए adventures  करना. मेरी तो बड़ी desire थी  कि Cartoon Network  में मैं इसको एक Animation Series की तरह बनाऊं और उसे आगे ले कर जाऊं, पर वो हो नहीं सका. 
  बंकू character जब मैं select  कर रहा था उसी समय अमित जी का Surf Advance का एक Ad आ रहा था जिसमें वो स्कूल के प्रिंसिपल बने  the और एक बच्चा एडमिशन के लिए आता है. तो आप believe  नहीं करेंगे , बच्चन साब ने भूतनाथ play किया और उसी बच्चे ने बंकू का part  play किया क्योंकि उन दोनों की  chemistry,  उन दोनों की naughtyness  और unpredictable timing जो थी वो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी. 



भूतनाथ में  अगर आप गौर करें तो Title Sequece के बाद पूरी की पूरी फिल्म उस बच्चे के Point of view से है. और आप लोगों को पता नहीं होगा पर जूही माँ (विवेकजी जूही चावला को जूही माँ सम्बोधित करते हैं) जो हैं वो बंकू नाम से थोड़ी सी परेशान थीं कि ये कैसा नाम है, ये नहीं रखेंगे कोई और नाम रखो. तो मैंने समझाया कि जैसे बंकिम नाम होता है...... बंकिम का शोर्ट फॉर्म बंकू..और ये  कौन सा  बड़ा अजूबा सा नाम है , बहुत इंट्रेस्टिंग  नाम है  तो आप देखिये फिल्म में कहाँ-कहाँ अडचनें होती है और उनको convince करने में मुझे थोडा time लगा. हमको फिल्म की स्क्रिप्ट में एक डायलाग पड़ा डालना पड़ा कि "वैसे इसका असली नाम अमन है लेकिन हम इसे प्यार से बंकू बुलाते हैं". और जब अमन सिद्दीकी जो real actor था उसने जब बंकू character  को आत्मसात किया तो  जीवंत कर दिया.उसकी जो timing थी, कमाल की थी . 



obviously बच्चे जो हैं वो  बड़े-बड़े डायलाग नहीं बोल पाते तो मैंने क्या किया शुरू-शुरू में छोटी छोटी lines दीं छोटे-छोटे sequences किये और धीरे-धीरे करके बंकू  बड़े sequence की तरफ गया.  बच्चन साब के introduction  का  जो scene था जिसमें कटोरी गिरती है और बच्चन साब जो भूत  हैं, बच्चे के सामने  पहली बार आते  है  वो बहुत लम्बा scene था  इसलिए .हम लोगों ने उसको बहुत जमा-टिका के अलग-अलग  cuts के साथ लिया और उसमें अमन सिद्दीकी यानी बंकू ने surprise कर दिया था हालांकि  उसको उस समय हल्का-सा फीवर भी था पर उसने वो  scene बहुत कमाल का किया .मैंने कोशिश भी की र्ह्व्व कि एक दो डायलाग कम कर दूं  पर बच्चन साब ने मुझे रोक दिया कि क्यों कर रहा है, करने दो उसे, अच्छा कर रहा है वो. तो बंकू करेक्टर क्रिएट करना  सबसे आसान भी था और difficult  भी था. 



अब एक बात बताता हूँ  मैंने इसकी  dialogue tone कैसे लिखी. मैं जब छोटा था तब मैं बड़ी  बहन को पोस्ट कार्ड में चिट्ठी लिखा करता था तब yellow colour का पोस्ट कार्ड आता था पचास पैसे का. तो उसमें जब मैं लिखता था तो  मेरे जीजा जी  हँसते थे कि कोई भी टॉपिक कहीं भी स्विच करता है जैसे  यहाँ सब ठीक है,   कल बारिश हुई, अच्छा ,,,,वो साइकिल की घंटी गिर गयी..यानी कोई कनेक्शन नहीं ... इस टॉपिक से उस टॉपिक का. मतलब  जो unpredictable way of conversation  होता है वो मैंने बंकू के character  रखा. जैसे...अचानक वो ये बोलता है अचानक वो बोलता है. एक तरह से वो story teller था वह मनगढ़ंत कहानियां रचता था कि मेरे घर में एक एंजेल आया फिर र्मैने ऐसे किया वैसेकिया ... उसके लम्बे-लम्बे नाखून थे जबकि एंजेल की बात कर रहा है वो, लेकिन description एक Devil का दे रहा है. तो वो जो मेरी खुद की एक child like habit थी-    सारी बातें कहना और एक साथ कहना और disjonted  तरीके से कहना. तो वो मुझमें अभी भी है  और उसमें मेरा ही reflection  एक प्रकार से बंकू में है. जैसे बंकू को जब चोट लगती है तो  उसके माथे पर मैंने वहीं निशान  दिया था जहाँ अमित जी जब गिरते हैं और उनके माथे पर चोट लगती है. इंटरवल  scene अमित जी का माथा छूकर वो बोलता भी है कि मुझे भी तुम्हारे जैसी चोट लग गई.


भूतनाथ में मैंने एक और बात रखी थी कि जब तक भूत का ह्रदय परिवर्तन नहीं होता तबतक बंकू और भूतनाथ एक दूसरे को physically नहीं छू पायेंगे और इसीलिये उसमें  हाथ से हाथ क्रॉस हो जाता है और  वो सीढ़ी से गिर जाता है. intermission के scene में माफ़ी मांगते समय  भूतनाथ उसका हाथ पकड़ता है उसके बाद उन दोनों का phisical touch शुरू हो जाता है और इस बात को मुझे गाने में बहुत संभालना पड़ा  इससे पहले जो "बंकू भैया कभी न हारे" song था और जो भी incidence  थे. कई बार  क्या होता है कि टेक्नीशियन, कोरियोग्राफर ये  बात भूल जाते हैं मगर डायरेक्टर को ये सब ध्यान में रखना पड़ता है. even भूतनाथ में एक अच्छी बात ये थी कि साउंड डिजाईन में हमने ध्यान रखा था  कि बच्चन साब जब तक भूत बन कर  रहते हैं तब तक उनकी फूट स्टेप्स यानी जूतों की आवाज नहीं आये .उनके जूतों की आवाज तब आती है जब बंकू उनको बोलता है सामने आओ, मम्मी के सामने आओ और फिर वे जूही चावला के पीछे से appear होते हैं और अपनी कहानी narrate करते हैं कि मेरे साथ हुआ क्या था.तो ये सारी चीजें हम लोगों ने बहुत अच्छी तरह से devise की हुई थीं.


और of course बंकू यानी अमन सिद्दीकी फिल्म की जान है. मुझे एक डिस्ट्रीब्यूटर /प्रोड्यूसर ने कहा था कि बच्चों पर बनी फिल्म कभी flop  नहीं होती क्योंकि हमेशा उसे पूरा परिवार देखने आता है.और मुझे ये सब ध्यान नहीं था हालांकि भूतनाथ को मैंने बच्चों की फिल्म की तरह ट्रीट नहीं किया लेकिन अपने आप  वो बच्चों के बीच इतनी पोपुलर हो गयी कि आज 11 साल हो गए हैं  फिर भी वह हर week टी वी पर दो से तीन बार आती है. और बच्चों को उसके डायलाग भी याद है. एक मेरे मित्र हैं उनकी भांजी  बंकू को देखने के बाद ही सुबह दूध पीती है. उनके पास डीवीडी भी पड़ी हुई हैं भूतनाथ की.
तो characterisation बच्चों का बच्चों जैसा  ही रखना पड़ता है. और बच्चों का जो एक चंचल, चपल शरारत करने का, झूठ बोलने का एक अंदाज़ होता है कि पकड़े न जाएँ.उनका एक excitement खटाक से सो जाते हैं, खटाक से उनको सू सू लग जाती है , खटाक से भूख लग जाती है. कभी-कभी जब उनका क्रिकेट खेलने का मन करता है ..तो वो कुछ भी करते हैं , तो वही टोन मैंने रखी और फिल्म जब serious होती है  तब बंकू को मैंने serious करना शुरू किया जैसे  अमन ने जो climex का scene था जहाँ वो छत पर जाकर भूतनाथ को देखता है और बोलता है - भूतनाथ वापस आओ वो आप believe नहीं करेंगे अमन ने one take में किया और हम लोगों ने वो जो साउंड उसका था नागरा  में रिकॉर्ड किया था  वही हमने फाइनल में भी use किया, हमने उससे dubbing नहीं कराई थी  क्योंकि इमोशनल scene जो हैं बच्चन साब भी dub नहीं करते और वही शूटिंग का साउंड ही use होता है. वह पूरा take बहुत कमाल का था मतलब अमन ने तो surprise ही कर दिया था. एक-एक छोटे छोटे nuances चाहे वो जूही जी के सामने हों चाहे शाहरुख़ के साथ हों या चाहे बच्चन साब के साथ हो, सतीश शाह जी के साथ हो, राजपाल  के साथ हो,  और उसकी timing  उसका दूसरे बच्चों के साथ खेलना. अब देखिये एक ही क्लास के अन्दर हमने बहुत सारे बच्चे रखे हुए थे  एक शरारती gang थी, एक friendly gang थी, सभी बच्चों ने अपना कमाल का करैक्टर पकड़ा हुआ था.  और जब बड़े डायरेक्टर्स को समझाने बुझाने में बहुत ध्यान  जाता है  छोटे बच्चों पे ध्यान नहीं रहता था यानि वो bother नहीं करते थे कि हमारे कपड़े ठीक हैं कि नहीं, हमारा मेकअप ठीक हैं की नहीं,   बस ये होता था कि एक ने सॉफ्ट ड्रिंक मंगाई  तो दूसरे को भी चाहिए, तीसरे को भी चाहिए एक ने अगर पिज़्ज़ा बोला तो दूसरे को भी चाहिए, तीसरे को भी चाहिए. इस तरीके से बच्चों के अन्दर जो एक innocent मासूम  approach होती है वो भूतनाथ के लिए बहुत work कर गई. और मैं आगे भी  क ख ग घ नंगा फिल्म के लिए कोशिश कर रहा हूँ,उसमें भी 10-15 बच्चे हैं उन बच्चों के through भी गाँव खेड़े के बच्चों को मैं अलग से reflect कर पाऊं.###

प्रस्तुति: रमेश तैलंग