पूर्णविराम!
अम्मां, अपनी गली में है एक छेड़ूराम
आज धर दिया मैंने धप्पा
भागा करता पप्पा पप्पा
मैं भी गाती लारालप्पा
दे कर आई उसको अच्छा -सा ईनाम.
छोटी हूँ पर इतनी भी ना
सुनूं मनचलों की, बोलूँ ना
आना जाना मैं रोकूँ ना
आये-गए बिना चलता है किसका काम?
भैया भैया बोलो उनको
फिर भी समझ न आए उनको
गुस्स्सा है अब बहुत अपुन को
कोमा से तो भला, लगा दूं पूर्णविराम .
- रमेश तैलंग /16-03-2018
चित्र सौजन्य : google
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