tag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post8224038470271513261..comments2023-11-18T11:21:33.087-08:00Comments on रमेश तैलंग: हिंदी का पहला बालगीतकार कौन?Unknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post-5942921632229120102011-06-01T05:25:21.449-07:002011-06-01T05:25:21.449-07:00धन्यवाद भाई साहब . आपने एक अच्छा मुद्दा उठाया है ....धन्यवाद भाई साहब . आपने एक अच्छा मुद्दा उठाया है .डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post-7282480365485694552011-06-01T03:22:46.966-07:002011-06-01T03:22:46.966-07:00धन्यवाद भाई रावेंद्र रवि एवें नागेश जी. इस लेख में...धन्यवाद भाई रावेंद्र रवि एवें नागेश जी. इस लेख में मैंने सिर्फ सन्दर्भ दिए हैं. उचित निर्णय तो सुधी एवं विज्ञ शोधक ही करेंगे. बाल साहित्य के विद्वतजनों में डॉ. हरी कृष्ण देवसरे, डॉ. प्रकाश मनु,डॉ. सुरेन्द्र विक्रम जैसे उपस्थित हैं. उनके दृष्टिकोण एवं विचार भी इस दिशा में मार्गदर्शन करेंगे. फिलवक्त आप सभी का ह्रदय से आभार.रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post-85622470632255651842011-06-01T00:59:51.298-07:002011-06-01T00:59:51.298-07:00मैं आदरणीय तैलंग जी के सन्दर्भों से पूर्णत सहमत हू...मैं आदरणीय तैलंग जी के सन्दर्भों से पूर्णत सहमत हूँ क्योंकि वह एक समर्पित विद्वान् और प्रमाणिक अभिलेख के माध्यम से प्रस्तुत किये गए हैं . साभार , नागेशडॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post-16908885327761065692011-06-01T00:53:04.236-07:002011-06-01T00:53:04.236-07:00सर्वप्रथम भाई रवि जी का आभारी हूँ जिन्होंने इस महत...सर्वप्रथम भाई रवि जी का आभारी हूँ जिन्होंने इस महत्वपूर्ण लेख का अध्ययन कराया .<br /> अग्रज रमेश तैलंग जी का भी हार्दिक आभार जिन्होंने इस शोधोपयोगी विषय के साथ कई विचारणीय प्रश्न उठायें हैं . <br /><br /> पहले बाल कवि का यह मुद्दा बहुत पुराना है , हिंदी बाल साहित्य के आदि समीक्षक निरंकार देव सेवक जी इस विषय पर अपने ग्रन्थ ''बाल गीत साहित्य'' (प्रकाशन वर्ष - 1966, प्रकाशक - किताब महल , इलाहाबाद ) में विस्तार से लिख चुके हैं . उन्होंने श्रीधर पाठक जी को उनकी बाल कविताओं की सरलता , सहजता और रोचकता को लेकर पहला बाल कवि माना है . <br /> मैंने भी इस विषय पर अपनी समीक्षा कृति ''बाल साहित्य के प्रतिमान'' में चर्चा की है . (प्रकाशक - बुनियादी साहित्य प्रकाशन ,रामकृष्ण पार्क , अमीनाबाद , लखनऊ , मो. नं. -९४१५००४२१२ ).<br /><br /> ग्रन्थ (''बाल साहित्य के आयाम'' , -डा.धर्मपाल , आलोक पर्व प्रकाशन , दिल्ली ) में पहला बाल कवि नाथूराम शर्मा शंकर को माना गया है . <br /><br /> ... फ़िलहाल एकदम शुरुआत से देखें और आदिकाल के कवि अमीर खुसरो की इन पहेलियों को याद करें -- एक थाल मोती से भरा , सबके सर पर औंधा धरा .या फिर.. एक पहेली मैं कहूँ सुन ले मेरे पूत . बाँध गले में उड़ गयी सौ गज लम्बा सूत . या बीसों का सर काट लिया , ना मारा ना/खून किया .(ग्रन्थ : अमीर खुसरो और उनका हिंदी साहित्य , भोला नाथ तिवारी , प्रभात प्रकाशन , दिल्ली, प्र. 62 ) .<br /> तो क्या यह खड़ी बोली के निकट बाल मन की सरल और श्रेष्ठ रचनाएँ नहीं हैं ? .. और इससे हमारे हिंदी बाल साहित्य की अवधि भी दीर्घकालीन सिध्द होती है .<br /><br /> हिंदी साहित्य में आज अमीर खुसरो को खड़ी बोली के प्रवर्तक / उन्नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है . हमें भी साधिकार और बड़े ही गौरव के साथ उन्हें पहले बाल कवि के रूप में स्वीकार करना चाहिए . <br />http://abhinavsrijan.blogspot.com/डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1288015602022068024.post-49501896567952423152011-05-31T20:19:27.659-07:002011-05-31T20:19:27.659-07:00तैलंग जी की बातों में काफी दम नज़र आ रहा है!
--
...तैलंग जी की बातों में काफी दम नज़र आ रहा है! <br />-- <br />मैं नागेश जी को इस आलेख का लिंक भेज रहा हूँ! <br />वे कुछ बेहतर जानकारी दे सकते हैं!रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.com